Saturday, November 30, 2019
कोई..!
Monday, November 4, 2019
अब जब भी शुबहा हो..!
मैं कल से आज तक
देखा न गया
मौसम सा सनम
फिरकी
क्यों है?
दावा
गुल ओ किमाम वजूद
वो वर्दियों वाले लोग..!
शायद दूसरा भी किनारा हो?
क्या है?
Thursday, October 17, 2019
किसी तरह
हर चाहने वाला मेरा,
दीदावर है,
किसी न किसी तरह..!!
हां यूं तो बेअसर हूँ,
पर बडा असर है तुझपे,
किसी न किसी तरह...!!
जिंदगी बाकायदा अंधेरी है,
पर जब से तू है, दोपहर है,
किसी न किसी तरह..!!
सिर्फ शाम कहा जाता था मैं,
पर ये कैसे हुआ?
सहर है किसी न किसी तरह?
पगडंडियां सब खो गयीं,
राह भटका था मैं,
तेरे मिलने से कैसे?
रहगुज़र है किसी तरह..?
इश्क़ की बात कर
दूरियों का ज़िक्र न कर,
पास आने की बात कर
हार जाने का न नाम ले अब
तेरे कहने से उलझ गया हूँ,
अब लड़ रहा हूँ हर सवाल से,
तो जीत जाने की बात कर....!
जियें या कुर्बान हो जाएं,
फैसला मुश्किल नही,
मुलाकात की बात कर...!
सहरा में भटकने वाला आदम हूँ,
प्यास की बात कर,
पानी की बात कर..!!
बेरुखी रही है, किस्मत हमेशा,
नज़दीकियों की बात कर,
अब सिर्फ इश्क की बात कर..!!
Thursday, September 19, 2019
मायने
सूख तो जाने ही हैं ज़ख्म सब,
सर पे तपता सूरज एक ओर,
उधर बहता मुसलसल ख़ून जो है..!!
क्या हुआ जो फ़ना भी हुए,
देखो जिहाद हासिल है..!
कुछ अजीब ही है ये,
वतन का जुनून जो है..!!
हमने वतनपरस्ती के,
मायने तक बदल डाले,
तुम भी बदलो ये,
सड़ते गलते कानून जो हैं..!!
Tuesday, September 17, 2019
हकीकत
खींच लेगा कोई इस कदर,
क्या कोई ऐसी भी वजह है?
सोचा न था नियत बदलेगी,
मिलने में रखा क्या है..?
अजीब सा हो रहा है कुछ,
न जाने आखिर क्या है..?
खुमार है जुल्फों का, और,
आंखों से नशा दिया क्या है..?
ईमान डगमगा रहा मेरा,
तुमने देखो किया क्या है..?
खूबसूरत लग रही है,
कमबख्त ये कैसी ख़ता है..?
अंजुमन, जानता हूँ, बेरंग मेरा,
तेरे नाम की होली में रंगा है..!!
दिल में खलबली भी मची है
कुछ न होगा ये भी पता है..!
होगी बस हकीकत पेश्तर,
और सब रंग उड़ जाएंगे,
चंद अगले रोज़ में यही बदा है..!!
Monday, September 16, 2019
सौदे
रिश्ते में रही यूं बंदिश,
कि मेरे थे अश्क़,
और उसकी आँखों से निकले..!!
कैद में बीत गयी उम्र,
कौन अब सलाखों से निकले..?
इक्के दुक्के सिक्के,
कैसे लाखों के निकले..?
ठगे तो गए इश्क में लेकिन,
सौदे मुनाफों के निकले...!!
किसी न किसी ने तो,
पढ़े ही होंगे, वरना..!!
कैसे इतने खत
बिना लिफाफों के निकले...?
रसोई और कविताएं
तुम्हारे इंद्रधनुषी प्रेम ने,
मेरे हर काव्य को,
भिन्न स्वाद दिया..!!
कविताएं चटपटी,
चटखारेदार हैं,
मीठी भी, तीखी भी,
सीली सी कुछ,
कुछ गीली सी,
सूखी सी कुछ,
कुछ रसीली सी...!!
कोई बनारस हो गई,
कोई प्रयाग है,
किसी में शर्करा तो,
किसी मे मिर्चों की आग है..!!
देखो....तुम्हारी रसोई,
मेरी कविताओं में बस गयी..!!
Monday, September 2, 2019
सफ़ह-ऐ-इश्क़
तोड़ दी दीवार-ओ-नींव
तमने अपने ही हाथ, रिश्तों की,
फिर भी नुक्कड़ पे,
यादों का मकान बाकी है..!!
हमने भी अखलाक निभाया है,
दुनियावी जो थे चुका दिए,
रूहानी एक एहसान अभी बाकी है
कैसे सोच लिया कि,
मुकर के बच जाओगे..??
माना सब सफ़हे
हिफ़्ज़ हुए इश्क के लेकिन,
इक इम्तेहान अभी बाकी है..!!
Friday, June 28, 2019
महारत
एहसान चुकाएँ तो चुकाएं कैसे,
सब तो तुम्हारी अमानत है,
कर सका इतना ही, के तेरे दर्दों को,
साथ सहने की कोशिश की है..!
तेरी हमनवाई, इतनी बुलंद,
के खिलाफत, बेमतलब थी,
तो संग बहने की कोशिश की है..!!
इस हुनर का माहिर नही,
बस तेरा बयान-ऐ-दिल,
मैनें अपनी जुबां से,
कहने की कोशिश की है..!!!
Thursday, June 27, 2019
तोहफा-ऐ-तवारीख़
नसीब वाली होती हैं,
उन घरों की ईंटें तक..!!
बेटियों की किलकारियां,
जिनमे गूंजी होती हैं...!!
मजबूर-ऐ-मोहब्बत, उस रब ने,
बुत... बेटी का बनाया,
फिर झुक के खुद,
कदम चूम लिए खुदा ने...!!
ऐ बशर नादां-ओ-बेपरवाह,
कम से कम बेटियों के,
इस मर्तबे की तो कद्र कर..!!!
सुबहा
भला कहाँ छुपा है ये राज अब?
पैरहन अपने लहू में भिगो दिया है..।
भला ऐसे कैसे हुआ कि हम,
बावफ़ा भी रहे, दग़ा भी दिया है..?
सुनो कुछ शक है हमें इस रिश्ते पे,
घर बनाया भी, उजाड़ भी दिया है...!!
जब सब खो दिया है, फिर भी,
मज़ार-ए-रूह में तेरे नाम का दिया है...!!
Wednesday, June 26, 2019
फकीराना रईसी
रोशन जगमग घरों में,
पसरा सन्नाटा है,
मातमी उदासी है,
निगल रही है साँसों को,
चाट रही है लम्हों को,
रूह इस कदर प्यासी है..!
पल भर अपने ही बेटे को
थपथपाने का वक़्त नहीं,
उन कलाइयों के पास.....
जिनकी घड़ियों पे,
हीरों की नक्काशी है...!!
Thursday, June 20, 2019
क्यों
हां तुम हो,
एक बड़ा प्रश्न...!!
जिसके जवाब,
ढूंढता रहता हूँ...!!!
पर और भी बड़ा प्रश्न
के आखिर हम,
हैं ही क्यों...!!
बस यही विरक्तिदोष है...!!
Wednesday, June 19, 2019
तेरा पता..!!
मैने आदम दिलों, बुतों,
संग-ओ-फौलाद,
को पिघलते देखा..!!!
तू बच्चों की किलकारियों
में ही बसा है कहीं...!!!
Tuesday, June 18, 2019
हाल-ऐ-शब
तेरी यादों को,
अक्सर अशआर बना कर,
कागज़ में लपेट,
डायरी में बंद कर देता हूँ..!!
सोचता हूँ अक्सर,
के वो ख़याल,
जिसे दफना दिया,
दोबारा पेशतर न होगा..!!
लेकिन चौराहे के खंभे सा,
रोज़ मेरे वजूद के आगे,
खड़ा हो कर,
तेरी वफाओं का सिला मांगता है..!!
मैं नजर झुकाये,
बच के निकलने की,
कोशिश में रोज़,
उलझ जाता हूँ,
तेरी यादों की डयोढ़ी पे..!!
फिर ये लम्हे,
सर पटक पटक के,
मातम करते हैं,
तेरे मेरे किस्से का..!!
और हां, तेरी यादों की,
मजलिस भी बैठती है,
हर रोज़, मेरे संग दीवान पे,
तो.. ये हाल है मेरी रातों का..!!
Saturday, June 15, 2019
करतब
ग़म-ऐ-दिल बेशक,
तुम्हारा, बड़ा है बहुत,
लेकिन कभी क्या,
किसी तंगहाल से मिले हो?
तलाशोगे, तो उसकी भूख में,
दर्द की नई गहरायी मिलेगी..!!
वो नट बन के पैदा न हुए,
न मजमगार थे उनके पुरखे,
ये करतब तो सब,
पेट की आग कराती है..!!
ढपली की थाप पे,
उसका राग नही है ये,
ये भूख का दर्द है,
जो तान बन के निकला..!!
मुरमुरे बेचना चाहा कब,
उम्र तो उसकी खाने की थी,
उनकी तंगहाली तो बस नतीजा है,
तलब तुम्हे ख़ज़ाने की थी..!!
Thursday, June 13, 2019
वो
उसने कहा 'सुनो'
और कदम थम गये..!!
फिर ज़िन्दगी गुजरी,
हम वहीं रह गये..!!
उसने कहा 'चलो'
हम चल दिये,
दरम्यां सितारों के,
आज मकां हमारा है..!!
उसने कहा 'बस'
और सांसे थम गयीं..!!
तुरबत है, कब्र है,
कुछ सूखे फूल हैं..!!
Tuesday, June 11, 2019
रिश्ता
दिल ओ दुनिया के बीच,
मेरा रिश्ता तू ही तो है
लौटा दिया ग़मे दहलीज़ से,
फरिश्ता तू ही तो है,
गुज़रा सारा जहां बेहिसाब जब,
आहिस्ता तू ही तो है
कहाँ रही फिक्र मेरी किसी को,
एक बाबस्ता तू ही तो है..!!
खंजर
आदम ओ दुनिया की,
अब बात मत कर,
मैने ग़मों का समंदर देखा है,
तेरी झील झील आंखों में,
किसी और के नाम का
मंज़र देखा है..!!
जीने की ख्वाहिश कैसे भला?
हाथ में तेरे, मैनें अपने नाम का,
खंज़र देखा है..!!
मंज़िल
आराम लेने नही देता दिल,
इसे जीने का जतन बहुत है,
तेरे एहसान कैसे ओढूं बता?
ये झीना पैरहन भी बहुत है..!!
उतार ले इसे अब जिस्म से,
इस रूह का वजन बहुत है..!!
गुलशन की अब खाक ख्वाहिश?
कांटो का ये अंजुमन बहुत है..!!
बशर जाएगा भी कहाँ आखिर,
दो गज़ का वतन बहुत है..!!
खामोशियाँ
मेरी खामोशियां,
गूंज कर बहरी हो गयीं,
उसी कमरे में जहां,
हमारी मोहब्बत सोती रही..!!
अब सूख चुकी तो,
पोंछने का क्या फायदा,
यही है वो आंख जो,
उम्र भर रोती रही..!!
तुम्हारे सेहरा में जब,
खिल रहे थे वफ़ा के फूल,
आग बारिश की मेरे जिस्म को,
बरसों भिगोती रही..!!
तुम क्या गए, पीछे से,
मुकद्दर भी ले गए,
मेरी किस्मत ताउम्र फिर,
तेरी ड्योढी पे रोती रही..!!
यही है वो आंख जो,
उम्र भर रोती रही..!!
Monday, June 10, 2019
दलदल
बेघर चले आते हैं,
इन गली कूचों में ही,
कहीं समा जाते हैं....!!
गाँवों को समूचा,
निगल रहे हैं...!
हर रोज़, शहर,
दलदल हो रहे हैं...!!
खता
चोट जिस्म ने खायी,
शमशीर-ओ-तलवार,
सह रहा है...!!
कट ही जायेंगे,
ये लम्हे हिज़्र के,
कहीं भीतर दिल,
ये कह रहा है....!!
बात दीगर है की,
जिस्म के, हर गोशे से,
मानिंद-ऐ-आब,
लहू बह रहा है...!!
माद्दा
हारने में नहीं,
चमन को गुलज़ार रखे,
असल दीदावर वही....!
ज़माने की कसौटियों पे,
खरी है बात,
तेरी नज़र में गलत,
और ज़रा सी सही.....!
लड़....! के बुलबुलें आज़ादी मांगती हैं,
कोहराम तेरा...खामोशी नहीं..!
Saturday, June 8, 2019
फीका विश्व
खूबसूरत मोड़
एक खूबसूरत मोड़ दिया,
खातिर-ऐ-क़त्ल,
जब खंज़र उठाया उसने,
हमने खुद को,
ढीला छोड़ दिया......!
नकाब
ये बिखरा सा ख्वाब क्यों है?
क्या छुपाये हो दिल में,
चेहरे पे हंसी का नकाब क्यों है?
मिलता था जो इत्मीनान से,
वो शख्स बेताब क्यों है?
क्या छुपाये बैठे हो,
ये हंसी का नकाब क्यों है?
साथ
साथ का वादा करने वाले,
दस्त-ऐ-ख्वाहिश, मजबूर हो गए....!
जाते थमा गए अरमा हज़ारों,
जो ये मुट्ठी कस दी जरा सी,
ख्वाब, सब वो चूर हो गए....!
शीशा-ऐ-दिल टूटने का "अंतस",
जश्न यूं मनाया फिर हमने,
"दीवाने" मशहूर हो गए...........!!!