Monday, June 10, 2019

खता

खता दिल की थी,
चोट जिस्म ने खायी,
शमशीर-ओ-तलवार,
सह रहा है...!!

कट ही जायेंगे,
ये लम्हे हिज़्र के,
कहीं भीतर दिल,
ये कह रहा है....!!

बात दीगर है की,
जिस्म के, हर गोशे से,
मानिंद-ऐ-आब,
लहू बह रहा है...!!

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