Sunday, August 17, 2014

अब वो बात न होगी...

प्यार इतना है तुझसे,
और जुदाई भी ऐसी,
कि रोज़ मरता हूँ,
रोज़ जीता हूँ, सौ दफा...

मेरे अश्कों को ही,
नम करनी है,
दिल की जमी.....
इस सावन,
कोई बरसात न होगी.........

जब तुझे याद न करू,
वो रात कभी रात न होगी........

दिल बैठा जा रहा है,
ये सोच कर.....

कि पल पल बीता,
जिनके लिए सदियों जैसा,
उनसे दो पल की भी,
मुलाकात न होगी.........

मैंने मार दिया है,
अपने ही हाथों,
तम्मंनाओ को अपनी.......
पर तेरे माथे शिकन आये,
मुझसे अब वो बात न होगी.....

गर तेरी रज़ा है,
तो मेरे सर माथे.....

दुनिया तेरे कदमो पे,
कर देता हूँ, न्योछावर,
इस से ज्यादा,
मेरी औकात न होगी......

अब सबसे होगी,
पर तेरे दीवाने से,
तेरी मुलाक़ात न होगी.......

तेरे माथे शिकन आये,
मुझसे अब वो बात न होगी...

एक बार खुद तू,
बयां कर दे.........

तो पलट के न आऊँ कभी,
आ गया गर कभी,
तो इंसान की मेरी,
ज़ात न होगी............

कुछ भी हो पर,
अब वो बात न होगी........!

अब तो तू ये बीडा उठा ले....

व्योपारी चूसे, नदिया जंगल,
धरती नीर बहाए.........

भूखी गोपी, भूखे ग्वाले,
किसना भूखा जाए......

ऐसी विपदा अपने लाये,
दिल की कौन बुझाये...

सुन ले रे देश के बेटे,
तेरी माता असुअन रोये....

काहे बैठा बिसरा के बिरसा,
अब देर बड़ी ही होए.......

खुद भी उठ,
ये बीड़ा उठा ले,
मिटटी तुझे बुलाये.......

व्योपारी चूसे नदिया जंगल,
धरती नीर बहाए...

माता के आँचल दाग लगा है,
कंस खड़ा मुस्काए.....

अपनी अपनी सब साधे हैं,
कौन दूजे को हाथ लगाये...

अब तो तू ये बीड़ा उठा ले,
मिटटी तुझे बुलाये....

तेरा किसना भूखा जाये.....!

बीरसे के सब फूल चुराए,
तेरी राह सजाये कांटे.........
गीता कुरान के नाम पे नेता,
देश तेरा ये बांटे........

देख विधाता साथ खड़ा है,
काहे को घबराए.....
अपनी किस्मत आप बदल ले,
जैसा भी तू चाहे......

अब तो तू ये बीड़ा उठा ले,
मिटटी तुझे बुलाये.....

Wednesday, August 6, 2014

हाथ थाम लो यारों......

हाथ थाम लो यारों,
बोझ उठाना है फिर,
हुक्मरानों को........
पैगाम देना है.......

इब्तिदा के बाद,
भटक गया है काफिला,
इसको इसका,
मुआफिक अंजाम देना है...........

न भूखा रहे कोई पेट,
हर सर को छत हो नसीब,
बदन पे कपडा,
हर हाथ को,
अब काम देना है.........

लानी है लुटी दौलत वापस,
हर गरीब का,
माल-ओ-असबाब,
उसको उसके हक़ का,
तमाम देना है......

भूलने लगी है दुनिया,
तो याद दिलाने की,
आप पड़ी है सर पे......

चल उठ, अपने वतन को,
फिर एक बार पुराना वो,
नाम देना है..............


गर पड़े जरूरत,
तो उतर जाने दे,
सर, खुशी खुशी.....
अगर है प्यास उसको तो,
सैयाद के हाथ,
खुद अपने लहू का जाम देना है......

हुक्मरानों को,
पैगाम देना है.........

जो तेरा है, वो तेरा ही हो,
अपने कारिंदों से,
जो खुद को समझ बैठे हैं शहंशाह,
हिसाब तमाम लेना है..........

काफिले को,
मुआफिक अंजाम देना है

चल उठ, अपने वतन को,
फिर एक बार पुराना वो,
नाम देना है..............
हिन्दुस्तान को,
फिर हिनुस्तान देना है..........!

Sunday, August 3, 2014

तेरी ही जुस्तजू आये....!

मेरे दर्दों से भी,
गुलाब सी खुशबू आये...

महकता है,
मेरा छोटा सा आशियाँ,
दर पे मेरे जब भी तू आये...

लब जो सी दिए तूने,
अपनी तंज़नाज़ नज़रों से,
अब मेरी आँखों में,
तेरी जुस्तुजू आये......

तू जो कभी,
मिलने आये,
तो मेरी साँसों से,
तेरी खुशबू आये....

बड़ा पेचीदा है,
ये धुंधला दर्द,
कभी तड़प के आये,
कभी सुर्खरू आये.........

अब मेरी आँखों में,
तेरी जुस्तुजू आये...

यूं पशोपेशियों में,
डाला है तूने मुझे,
की पी रहा हूँ हर बूँद,
मानिन्दे-ए-ज़हर.....

भला रुसवा करने तुझे,
मेरी आँख में,
अश्क क्यू आये........

ये तेरी ही कारगुजारियां,
की मेरे रूबरू,
बस तू ही तू आये......
बाद इसके भी,
बस एक तेरी जुस्तजू आये....

निगाहें लगी है दर पे,
कहीं गवां न दूं एक भी लम्हा,
तेरे दीदार का,
मैं फेरु पल भर जो नज़र इधर,
उधर तू आये.....

तेरी बस तेरी ही,
जुस्तजू आये..........

तमन्ना है, के तू हो,
बस तू हो और तू ही हो,
और कुछ न हो.....
कभी वो पल भी आये,
की सिर्फ मुझसे मिलने तू आये.......!