Wednesday, December 1, 2010

तू ही किनारे पे बैठ रोया होगा..............

समंदर खारा है आज,
तू ही किनारे पे बैठ रोया होगा..............

नम है सांस मेरी बेहिसाब,
तूने ही अपना दामन,
अश्कों से भिगोया होगा..........

मेरे ख़त को उठा कर,
पढता रहा होगा,
फिर कश्ती बना,
छोड़ दिया होगा लहरों पे.....

परेशां हो कर खुद ही उसे,
अपने हाथों से डुबोया होगा......

समंदर खारा है आज,
तू ही किनारे पे बैठ रोया होगा..............


दर्द रिसता होगा हर धड़कन में,
जख्म भरते नहीं इश्क के कभी....
कहाँ तू भी रात, सुकून से सोया होगा.......

मेरा तो दामन ही तार तार था,
मेरे हिस्से के ज़ख्मों को भी,
बाद मेरे तूने ही संजोया होगा...........

समंदर खारा है आज,
तू ही किनारे पे बैठ रोया होगा..............


न ही नूर-ऐ-इलाही मयस्सर,
न ही इश्क-ऐ-पाक,
कौन बदनसीब, मुझ सा गोया होगा.........

Thursday, November 11, 2010

पाप........



दीवार से गिरते पलस्तर को देख अनुराधा ने झाडू उठा ली....झाडू से गिरते पलस्तर को पूरा गिराने के बाद कमर पर हाथ रख एक लम्बी सांस लेने का मन बना ही रही थी की.......विक्रांत के कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई दे गयी।


अनुराधा समझ गयी की विक्रांत फिर से साबुन ढूंढ रहा हैं....... वो भाग कर विकी के कमरे में पहुची तो देखा की विकी पागलों की तरह कुछ ढूंढ रहा हैं.....अनुराधा को अचानक याद आया कि साबुन तो शाम ही ख़त्म हो गया था, और आज विकी कुछ जल्दी ही जाग गया हैं....अनुराधा ये सोच कर परेशान हो रही थी कि साबुन मिला तो विकी को सम्हालना मुश्किल हो जायेगा.........विकी अब भी पागलों की तरह साबुन ढूंढ रहा था.......विकी को अपने हाथ धोने थे.........यही एक काम था जो वो माँ कि मदद के बिना भी कर पाता था.....अनु भाग कर बाहर गई, देखा तो अभी दूकान खुली नहीं थी..........अनु के माथे पे पसीने कि बूंदे छलछला आयीं........



घर के अन्दर से अब चीखने चिल्लाने की आवाज़ आनी शुरू हो गयी......अनु फिर से भागी और विकी को पकड़ कर बिस्तर कि तरफ ले जाने लगी पर जवान बेटे के जिस्म कि ताक़त के आगे हलकी पड़ रही थी......


विकी ने अनु से हाथ छुड़ा लिया और बाथरूम पहुच गया..........एक पल में ही उसने साबुन रखने कि हर संभावित जगह तलाश कर ली, अनु ने पीछे से विकी के पीठ पर हाथ रख कर कहा-बेटा रुक जा मैं तेरे हाथ धुला देती हूँ......पर विकी ने जैसे सुना ही नहीं, उसकी आँखों को सिर्फ साबुन की तलाश थी....एक छोटा सा टुकड़ा पा कर विकी ऐसे ठंडा हो गया जैसे लाल गरम कोयले पर किसी ने पानी डाल दिया हो। विकी को अभी भी हाथ धोने कि जल्दी थी...पूरे तो नहीं पर आधे हाथ पर साबुन लगाने के बाद विकी ने देखा कि टुकड़ा ख़त्म हो चला हैं.....ये देख उसे फिर दौरा पड़ने लगा..........अनु ने जैसे तैसे उसके पूरे हाथों पर साबुन लगा कर उसे दिखाते हुए हाथों पर पानी डाला.......धुले हुए हाथों को विकी ने जैसे ही सूंघना शुरू किया, अनु उसे खींच कर उसके बिस्तर तक ले गयी। विकी अभी साबुन कि महक को अपने हाथो पर परख ही रहा था कि अनु फिर दुकान देखने चली गई...........



विकी अब शांत हो रहा था......और उसके ज़ेहन में १४ साल कि उस लड़की का चेहरा फिर ताज़ा हो रहा था, जो अब विकी कि वजह से इस दुनिया में नहीं थी।



एक फिल्म सी उसके सामने शुरू हो चली थी......गर्ल्स कॉलेज से लौटते हुए कृति को उसने मंदिर के पीछे रास्ते पर रोक लिया और हाथ पकड़ का अपने प्यार का इज़हार कर दिया........कृति ने हाथ छुड़ा कर विकी को थप्पड़ मार दिया.......



दूर खड़े दोस्तों ने सब देखा और विकी को उकसा दिया, १८ साल के विकी ने मोहल्ले के गुंडे दोस्त कि कार में कृति को रास्ते से अगवा कर लिया......विकी ने ये कर तो लिया पर उस जंगल में वो कृति को उन दोस्तों का शिकार बनने से रोक नहीं पाया.......कृति कि जान वहीँ पर चली गई........सदमे की हालत में विकी कृति की लाश के पास बैठा मिला......पुलिस को गवाही में कुछ नहीं मिल पाया.......विकी को डाक्टर सही नहीं कर पाए.....लाखों रूपये खर्च करने के बाद विधवा माँ के पास बस घर बचा था और ऊपर के हिस्से में किरायेदारों से होने वाले किराए कि आमदनी.......उस घटना के बाद विकी ने सदमे कि हालत में रहते हुए लगभग दो माह बाद सिर्फ एक काम किया......उठ कर अपने हाथ साबुन से धोये....फिर उसकी महक को सूंघता रहा....जब एहसास हुआ कि महक ख़तम हो चली हैं तो फिर से हाथ धोये........



विकी का अवचेतन उस से हाथ धुलवाता रहता हैं........उसे तसल्ली दे कर कि शायद इस से पाप धुल जाए.........



विकी को साबुन कि महक आनी बंद हो गयी हैं............उसे फिर से दौरा पड़ने लगा हैं...उधर सड़क पार करते हुए अनु को एक कार ने ठोकर मार दी हैं............अनु अब नहीं हैं.......