Saturday, June 8, 2019

साथ

रोज़-ऐ - क़यामत तक,
साथ का वादा करने वाले,
दस्त-ऐ-ख्वाहिश, मजबूर हो गए....!

जाते थमा गए अरमा हज़ारों,
जो ये मुट्ठी कस दी जरा सी,
ख्वाब, सब वो चूर हो गए....!

शीशा-ऐ-दिल टूटने का "अंतस",
जश्न यूं मनाया फिर हमने,
"दीवाने" मशहूर हो गए...........!!!

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