From Inside.......
हमे कर के किर्चा किर्चा…..टुकड़े टुकड़े............
वो सोने चले जाते हैं....!
उनको नींद आ जाती है.....?
ये बात हमको समझ नही आती.....!
यू तो अब तक ये गुल-ए-मोब्बत है,पर अब इस से वफ़ा की वो बू नही आती........!