Friday, June 28, 2019

महारत




एहसान चुकाएँ तो चुकाएं कैसे,
सब तो तुम्हारी अमानत है,
कर सका इतना ही, के तेरे दर्दों को,
साथ सहने की कोशिश की है..!

तेरी हमनवाई, इतनी बुलंद,
के खिलाफत, बेमतलब थी,
तो संग बहने की कोशिश की है..!!

इस हुनर का माहिर नही,
बस तेरा बयान-ऐ-दिल,
मैनें अपनी जुबां से,
कहने की कोशिश की है..!!!

Thursday, June 27, 2019

तोहफा-ऐ-तवारीख़




नसीब वाली होती हैं,
उन घरों की ईंटें तक..!!

बेटियों की किलकारियां,
जिनमे गूंजी होती हैं...!!

मजबूर-ऐ-मोहब्बत, उस रब ने,
बुत... बेटी का बनाया,
फिर झुक के खुद,
कदम चूम लिए खुदा ने...!!

ऐ बशर नादां-ओ-बेपरवाह,
कम से कम बेटियों के,
इस मर्तबे की तो कद्र कर..!!!

सुबहा


भला कहाँ छुपा है ये राज अब?
पैरहन अपने लहू में भिगो दिया है..।

भला ऐसे कैसे हुआ कि हम,
बावफ़ा भी रहे, दग़ा भी दिया है..?

सुनो कुछ शक है हमें इस रिश्ते पे,
घर बनाया भी, उजाड़ भी दिया है...!!

जब सब खो दिया है, फिर भी,
मज़ार-ए-रूह में तेरे नाम का दिया है...!!

Wednesday, June 26, 2019

फकीराना रईसी


रोशन जगमग घरों में,
पसरा सन्नाटा है,
मातमी उदासी है,

निगल रही है साँसों को,
चाट रही है लम्हों को,
रूह इस कदर प्यासी है..!

पल भर अपने ही बेटे को
थपथपाने का वक़्त नहीं,
उन कलाइयों के पास.....

जिनकी घड़ियों पे,
हीरों की नक्काशी है...!!

Thursday, June 20, 2019

क्यों

हां तुम हो,
एक बड़ा प्रश्न...!!

जिसके जवाब,
ढूंढता रहता हूँ...!!!

पर और भी बड़ा प्रश्न
के आखिर हम,
हैं ही क्यों...!!

बस यही विरक्तिदोष है...!!

Wednesday, June 19, 2019

तेरा पता..!!

मैने आदम दिलों, बुतों,
संग-ओ-फौलाद,
को पिघलते देखा..!!!

तू बच्चों की किलकारियों
में ही बसा है कहीं...!!!

Tuesday, June 18, 2019

हाल-ऐ-शब

तेरी यादों को,
अक्सर अशआर बना कर,
कागज़ में लपेट,
डायरी में बंद कर देता हूँ..!!

सोचता हूँ अक्सर,
के वो ख़याल,
जिसे दफना दिया,
दोबारा पेशतर न होगा..!!

लेकिन चौराहे के खंभे सा,
रोज़ मेरे वजूद के आगे,
खड़ा हो कर,
तेरी वफाओं का सिला मांगता है..!!

मैं नजर झुकाये,
बच के निकलने की,
कोशिश में रोज़,
उलझ जाता हूँ,
तेरी यादों की डयोढ़ी पे..!!

फिर ये लम्हे,
सर पटक पटक के,
मातम करते हैं,
तेरे मेरे किस्से का..!!

और हां, तेरी यादों की,
मजलिस भी बैठती है,
हर रोज़, मेरे संग दीवान पे,
तो.. ये हाल है मेरी रातों का..!!

Saturday, June 15, 2019

करतब

ग़म-ऐ-दिल बेशक,
तुम्हारा, बड़ा है बहुत,

लेकिन कभी क्या,
किसी तंगहाल से मिले हो?

तलाशोगे, तो उसकी भूख में,
दर्द की नई गहरायी मिलेगी..!!

वो नट बन के पैदा न हुए,
न मजमगार थे उनके पुरखे,

ये करतब तो सब,
पेट की आग कराती है..!!

ढपली की थाप पे,
उसका राग नही है ये,
ये भूख का दर्द है,
जो तान बन के निकला..!!

मुरमुरे बेचना चाहा कब,
उम्र तो उसकी खाने की थी,

उनकी तंगहाली तो बस नतीजा है,
तलब तुम्हे ख़ज़ाने की थी..!!

Thursday, June 13, 2019

वो

उसने कहा 'सुनो'
और कदम थम गये..!!

फिर ज़िन्दगी गुजरी,
हम वहीं रह गये..!!

उसने कहा 'चलो'
हम चल दिये,

दरम्यां सितारों के,
आज मकां हमारा है..!!

उसने कहा 'बस'
और सांसे थम गयीं..!!

तुरबत है, कब्र है,
कुछ सूखे फूल हैं..!!

Tuesday, June 11, 2019

रिश्ता

दिल ओ दुनिया के बीच,
मेरा रिश्ता तू ही तो है

लौटा दिया ग़मे दहलीज़ से,
फरिश्ता तू ही तो है,

गुज़रा सारा जहां बेहिसाब जब,
आहिस्ता तू ही तो है

कहाँ रही फिक्र मेरी किसी को,
एक बाबस्ता तू ही तो है..!!

खंजर

आदम ओ दुनिया की,
अब बात मत कर,
मैने ग़मों का समंदर देखा है,

तेरी झील झील आंखों में,
किसी और के नाम का
मंज़र देखा है..!!

जीने की ख्वाहिश कैसे भला?
हाथ में तेरे, मैनें अपने नाम का,
खंज़र देखा है..!!

मंज़िल

आराम लेने नही देता दिल,
इसे जीने का जतन बहुत है,

तेरे एहसान कैसे ओढूं बता?
ये झीना पैरहन भी बहुत है..!!

उतार ले इसे अब जिस्म से,
इस रूह का वजन बहुत है..!!

गुलशन की अब खाक ख्वाहिश?
कांटो का ये अंजुमन बहुत है..!!

बशर जाएगा भी कहाँ आखिर,
दो गज़ का वतन बहुत है..!!

खामोशियाँ

मेरी खामोशियां,
गूंज कर बहरी हो गयीं,
उसी कमरे में जहां,
हमारी मोहब्बत सोती रही..!!

अब सूख चुकी तो,
पोंछने का क्या फायदा,
यही है वो आंख जो,
उम्र भर रोती रही..!!

तुम्हारे सेहरा में जब,
खिल रहे थे वफ़ा के फूल,
आग बारिश की मेरे जिस्म को,
बरसों भिगोती रही..!!

तुम क्या गए, पीछे से,
मुकद्दर भी ले गए,
मेरी किस्मत ताउम्र फिर,
तेरी ड्योढी पे रोती रही..!!

यही है वो आंख जो,
उम्र भर रोती रही..!!

Monday, June 10, 2019

दलदल

सैकड़ों हज़ारों,
बेघर चले आते हैं,
इन गली कूचों में ही,
कहीं समा जाते हैं....!!

गाँवों को समूचा,
निगल रहे हैं...!
हर रोज़, शहर,
दलदल हो रहे हैं...!!

खता

खता दिल की थी,
चोट जिस्म ने खायी,
शमशीर-ओ-तलवार,
सह रहा है...!!

कट ही जायेंगे,
ये लम्हे हिज़्र के,
कहीं भीतर दिल,
ये कह रहा है....!!

बात दीगर है की,
जिस्म के, हर गोशे से,
मानिंद-ऐ-आब,
लहू बह रहा है...!!

माद्दा

माद्दा निभा जाने में है,
हारने में नहीं,
चमन को गुलज़ार रखे,
असल दीदावर वही....!

ज़माने की  कसौटियों पे,
खरी है बात,
तेरी नज़र में गलत,
और ज़रा सी सही.....!

लड़....! के बुलबुलें आज़ादी मांगती हैं,
कोहराम तेरा...खामोशी नहीं..!

Saturday, June 8, 2019

फीका विश्व

अर्थ, राज्य, देश परदेश,
राग रंग, प्रेम द्वेष,
ईश्वर की सत्ता,
धर्म की कसौटियां,
दर्शन और माहात्म्य,
सब फीके हैं.....!!

सुबह सुबह बच्चों को,
भूख से बिलखते देखा है...!
 

खूबसूरत मोड़

बेबसी को उसकी,
एक खूबसूरत मोड़ दिया,

खातिर-ऐ-क़त्ल,
जब खंज़र उठाया उसने,

हमने खुद को,
ढीला छोड़ दिया......!

नकाब

हसरतों की पेशानी पे,
ये बिखरा सा ख्वाब क्यों है?

क्या छुपाये हो दिल में,
चेहरे पे हंसी का नकाब क्यों है?

मिलता था जो इत्मीनान से,
वो शख्स बेताब क्यों है?

क्या छुपाये बैठे हो,
ये हंसी का नकाब क्यों है?

साथ

रोज़-ऐ - क़यामत तक,
साथ का वादा करने वाले,
दस्त-ऐ-ख्वाहिश, मजबूर हो गए....!

जाते थमा गए अरमा हज़ारों,
जो ये मुट्ठी कस दी जरा सी,
ख्वाब, सब वो चूर हो गए....!

शीशा-ऐ-दिल टूटने का "अंतस",
जश्न यूं मनाया फिर हमने,
"दीवाने" मशहूर हो गए...........!!!

भूलना



तुमको चाहना तो सिर्फ दुश्वार था,
पर भूलना तो कोई जंग हो जैसे !

खुद से मिलना भूल गए

कुछ यूं बनाया संगदिल उसने,
दर्द में गैरों के पिघलना भूल गए,

लतखोरी ऐसी रही इश्क़ की,
घर से भी निकलना भूल गए,

फिर कातिल से मिले हर रोज़,
बस खुद से मिलना भूल गए....!!