हसरतों की पेशानी पे,
ये बिखरा सा ख्वाब क्यों है?
क्या छुपाये हो दिल में,
चेहरे पे हंसी का नकाब क्यों है?
मिलता था जो इत्मीनान से,
वो शख्स बेताब क्यों है?
क्या छुपाये बैठे हो,
ये हंसी का नकाब क्यों है?
ये बिखरा सा ख्वाब क्यों है?
क्या छुपाये हो दिल में,
चेहरे पे हंसी का नकाब क्यों है?
मिलता था जो इत्मीनान से,
वो शख्स बेताब क्यों है?
क्या छुपाये बैठे हो,
ये हंसी का नकाब क्यों है?
No comments:
Post a Comment