नसीब वाली होती हैं,
उन घरों की ईंटें तक..!!
बेटियों की किलकारियां,
जिनमे गूंजी होती हैं...!!
मजबूर-ऐ-मोहब्बत, उस रब ने,
बुत... बेटी का बनाया,
फिर झुक के खुद,
कदम चूम लिए खुदा ने...!!
ऐ बशर नादां-ओ-बेपरवाह,
कम से कम बेटियों के,
इस मर्तबे की तो कद्र कर..!!!
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