कांटे तो अदा हैं......
हर गुलाब के साथ.....
नज़र उठाई,शर्मिंदा हुए ,
उन्हें देख कर.....
फिर इक तंज़ आया,
आदाब के साथ.....
मुलाकात आखिरी, बात आखिरी,
हमारे इक सवाल,
उनके इक जवाब के साथ....
इंतजार तो था और उम्मीद भी,
घर भी बहा ले जायेगा, ये मालूम न था,
वो आया भी, तो इक सैलाब के साथ......
हर गुलाब के साथ.....
दिल का ताज खंडहर है,
हर दीवार-ओ-मेहराब के साथ.....
हस्ती दफन कूचा-ऐ -यार में,
अंतस का अलविदा,
इस इन्तखाब के साथ.....