अक्सर देखता हूं उसे,
खुद को आईने में देखते हुए,
संवरते हुए निखरते हुए..!!
बगाहे आज खुद को,
देख लिया गौर से..!!
चेहरे पे शिकन, माथे पे सवाल..!
अधपकी मूंछें, अजीब सा हाल..!!
बड़ा सदमा सा लगा है,
सोच में हूं, क्या ये में वही हूं..!!
कुछ साल पहले था जो..!!
क्योंकि वो वहीं है,
मैं वो नहीं हूं...!!
ये साजिशें आइनों की हैं,
इस देश में मर्द,
अक्सर आइना नहीं देखते...!!