Wednesday, March 10, 2021
नया बहाना
Sunday, March 7, 2021
शिकस्त
मुझे अंजाम मे,
“हमारी” शिकस्त दिख रही है,
तो ज़रा बता हमारा....
आगाज़ क्या है..........?
खिलखिलाहट में,
अब भी वो मोती हैं,
पर नज़रें चुराने का अंदाज़
जुदा है,
सब न बता, पर इतना तो बता,
आखिर ये अंदाज़ क्या
है......?
हमराज़ मान के तुझको,
बाँट ली जिन्दगी अपनी,
बस इतना बता.......
तेरे सीने दबा वो एक,
राज़ क्या है.........?
मेरा दर्द न पंहुचा,
मेरी आह न पहुंची तुझ तक,
तो वो चीख ही क्या,
वो आवाज़ क्या है.........?
जो है ये सब तो देख,
मैं अपनी शामों को,
पैमानों में घोल के पी रहा
हूँ...!
मोहब्ब्बत में तो,
सब ही होते हैं बर्बाद,
क्या फ़कीर और,
फिर सरताज क्या
है.........?
हद
कभी तूने सुना,
कभी अनसुना कर दिया,
हाले दिल मैंने यूं,
बयां किया तो बहुत.......
जान निकल रही है,
जब जर्रा जर्रा,
जिंदगी की अहमियत,
खुद की कीमत, समझा हूँ,
यूं मैं जिया तो बहुत.....
प्यास प्यार की थी,
पर हिस्से अश्क ही पड़े
मेरे,
घूँट घूँट, मैंने दर्द,
यूं पिया तो
बहुत............
तेरा एहसान,
मेरे हर करम पे अब भी भारी
है,
फ़र्ज़ अदा मैंने किया तो
बहुत.......
उम्र कम पड रही है,
और तेरे साथ के पल,
नाकाफी हैं,
यूं जिन्दगी ने जीने की
खातिर,
दिया तो
बहुत.................
घुट घुट के जीना क्या होता
है,
तुमने सिखा दिया,
मैंने भी हर,
सफ्हे पे गौर किया तो
बहुत......
घूँट घूँट यूं दर्द,
मैंने पिया तो बहुत...
बहुत कुछ बाकी रहा फिर भी,
तेरे साथ मैं, यूं जिया तो
बहुत............
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