कभी तूने सुना,
कभी अनसुना कर दिया,
हाले दिल मैंने यूं,
बयां किया तो बहुत.......
जान निकल रही है,
जब जर्रा जर्रा,
जिंदगी की अहमियत,
खुद की कीमत, समझा हूँ,
यूं मैं जिया तो बहुत.....
प्यास प्यार की थी,
पर हिस्से अश्क ही पड़े
मेरे,
घूँट घूँट, मैंने दर्द,
यूं पिया तो
बहुत............
तेरा एहसान,
मेरे हर करम पे अब भी भारी
है,
फ़र्ज़ अदा मैंने किया तो
बहुत.......
उम्र कम पड रही है,
और तेरे साथ के पल,
नाकाफी हैं,
यूं जिन्दगी ने जीने की
खातिर,
दिया तो
बहुत.................
घुट घुट के जीना क्या होता
है,
तुमने सिखा दिया,
मैंने भी हर,
सफ्हे पे गौर किया तो
बहुत......
घूँट घूँट यूं दर्द,
मैंने पिया तो बहुत...
बहुत कुछ बाकी रहा फिर भी,
तेरे साथ मैं, यूं जिया तो
बहुत............
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