मुझे अंजाम मे,
“हमारी” शिकस्त दिख रही है,
तो ज़रा बता हमारा....
आगाज़ क्या है..........?
खिलखिलाहट में,
अब भी वो मोती हैं,
पर नज़रें चुराने का अंदाज़
जुदा है,
सब न बता, पर इतना तो बता,
आखिर ये अंदाज़ क्या
है......?
हमराज़ मान के तुझको,
बाँट ली जिन्दगी अपनी,
बस इतना बता.......
तेरे सीने दबा वो एक,
राज़ क्या है.........?
मेरा दर्द न पंहुचा,
मेरी आह न पहुंची तुझ तक,
तो वो चीख ही क्या,
वो आवाज़ क्या है.........?
जो है ये सब तो देख,
मैं अपनी शामों को,
पैमानों में घोल के पी रहा
हूँ...!
मोहब्ब्बत में तो,
सब ही होते हैं बर्बाद,
क्या फ़कीर और,
फिर सरताज क्या
है.........?
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