मुस्कुराता है वो,
तो मसखरा बना रहता हूँ,
उसकी हँसी के बदले,
रोज़ ख़ुद को ज़ख्म लगा लेता हूँ मैं.............
उसे सुकून मिलता है, दर्द से मेरे,
तो ख़ुद को यूँ ही सज़ा देता हूँ मैं...........
इतने रूप हैं मेरे, माना मैंने,
पर ख्वाहिश नही मेरी, मर्ज़ी है उसकी............
जैसा वो चाहे रूप बना लेता हूँ मैं..............
वो ही करे के मैं करुँ,
पर ख़ुद को मुजरिम बना लेता हूँ मैं.......
उसे सुकून मिलता है,
तो ख़ुद को सज़ा देता हूँ मैं.............
उसकी चाहत हैं, रोशन शामें,
तो बार बार हर शाम, दिल जला लेता हूँ मैं...........
आज यूँ है, कि मुझ से हो कर जानी है,
उसकी खुशियों कि डगर,
तो चलो अपनी कब्र ख़ुद बना लेता हूँ मैं.....................
Wednesday, November 26, 2008
मैं रहूँ न रहूँ...........
रात जाने को है,
ख्वाब कहता है, कैसे मैं रहूँ, जब न तू रहे.........
मै रहूँ, न रहूँ, बस तू रहे......
हमेशा खुश रहे, दिल में बस यही जुस्तजू रहे...........
कुछ होने को मेरी हर तमन्ना कहे,
फिर मैं कुछ न रहूँ,
कभी तेरी महफिल में ये भी मौजू रहे..............
मुझे किनारा बन कर यूँ ही फ़ना हो जाने दे..........
तू मौज की रवानी ले आगे चल,
तुझपे किस का काबू रहे..............
ख़ाक कर लूँ मैं ख़ुद को, तेरी छोटी से ख्वाहिश पे,
की मेरी बदन की रेत पे तेरा निशान-ऐ- आरजू रहे...............
खुशबू बन कर जो बसा है, मेरे जेहन में,
तो मुझे अपने गुल होने का एहसास होता है,
मुझे कोई कुचल भी दे तो क्या,
बाद उसके तू ही तो हर सू रहे.....................
ख्वाब कहता है, कैसे मैं रहूँ, जब न तू रहे.........
मै रहूँ, न रहूँ, बस तू रहे......
हमेशा खुश रहे, दिल में बस यही जुस्तजू रहे...........
कुछ होने को मेरी हर तमन्ना कहे,
फिर मैं कुछ न रहूँ,
कभी तेरी महफिल में ये भी मौजू रहे..............
मुझे किनारा बन कर यूँ ही फ़ना हो जाने दे..........
तू मौज की रवानी ले आगे चल,
तुझपे किस का काबू रहे..............
ख़ाक कर लूँ मैं ख़ुद को, तेरी छोटी से ख्वाहिश पे,
की मेरी बदन की रेत पे तेरा निशान-ऐ- आरजू रहे...............
खुशबू बन कर जो बसा है, मेरे जेहन में,
तो मुझे अपने गुल होने का एहसास होता है,
मुझे कोई कुचल भी दे तो क्या,
बाद उसके तू ही तो हर सू रहे.....................
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