माद्दा निभा जाने में है,
हारने में नहीं,
चमन को गुलज़ार रखे,
असल दीदावर वही....!
ज़माने की कसौटियों पे,
खरी है बात,
तेरी नज़र में गलत,
और ज़रा सी सही.....!
लड़....! के बुलबुलें आज़ादी मांगती हैं,
कोहराम तेरा...खामोशी नहीं..!
हारने में नहीं,
चमन को गुलज़ार रखे,
असल दीदावर वही....!
ज़माने की कसौटियों पे,
खरी है बात,
तेरी नज़र में गलत,
और ज़रा सी सही.....!
लड़....! के बुलबुलें आज़ादी मांगती हैं,
कोहराम तेरा...खामोशी नहीं..!
No comments:
Post a Comment