मसाजिदों में फेक
"जानवर" की लाश
कर दिया जहाँ को
लपटों के हवाले
दरिंदो से इंसानियत
खुश देखी न गयी.....!!
तोड़ दिया दम
दौरान-ए-जचगी
एक गरीब मा ने..!
रईसों के बनाए,
इक गरीब हस्पताल के आगे..!!
झक कोट वाले दुनियावी
खुदाओं में फिर
सूरत-ए-खुदा देखी न गई।
दौड़ती रही अंधी दुनिया
भरी दोपहर सड़क किनारे
और लाश पर दुधमुँहा
तड़पता रहा मासूम..!!
बैठ गई गाय
बच्चे के मुह थन लगा के
उस से जब देखा न गया।
दर-ए-मसाजिद मिली
कि पण्डे के हाथ,
बाहर गिरजे के पाई
कि लंगर में छक ली
रोटी थी
मुझसे उसका मज़हब देखा न गया...!
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