बड़ी दिलचस्पी है तुम्हे,
हमारे हाल-ओ-हालात में..!!
वजह क्या है..?
सब तो खोल दिए हैं,
बंधन के खयाल में क्यों हो,
बची अब गिरह क्या है..?
तुमने तो मिलन के,
जलसों में यकीं रखा है,
फिर एक ये विरह क्या है..??
खो दिया है गर,
अम्न- ओ- सूकूं,
माने हार गए,
फिर भी दामन में लिपटी
वो फतेह सी क्या है..?
कहां तो कोई कशिश बाकी न थी,
फिर ये शिद्दत ये जुनून,
बेतरह क्या है..???
जुदा जब हो ही चुके,
तो ये कुछ ज़रा सा,
जुड़ा क्या है......??
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