Monday, September 16, 2019

रसोई और कविताएं

तुम्हारे इंद्रधनुषी प्रेम ने,
मेरे हर काव्य को,
भिन्न स्वाद दिया..!!

कविताएं चटपटी,
चटखारेदार हैं,

मीठी भी, तीखी भी,
सीली सी कुछ,
कुछ गीली सी,
सूखी सी कुछ,
कुछ रसीली सी...!!

कोई बनारस हो गई,
कोई प्रयाग है,
किसी में शर्करा तो,
किसी मे मिर्चों की आग है..!!

देखो....तुम्हारी रसोई,
मेरी कविताओं में बस गयी..!!

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