
हैरत की हद हो जाती है,
क्या से क्या नजर आता है,
आजकल सुबह सवेरे चाँद,
छत पर उतर आता है.....
हंगामखेज़ एक और बात सुनिए,
हमारे दिल को कुछ यूँ राहतें हैं,
जमाना भर चाहता है जिन्हें,
वो टूट कर हमें चाहते हैं..........
क्या से क्या नजर आता है,
आजकल सुबह सवेरे चाँद,
छत पर उतर आता है.....
हंगामखेज़ एक और बात सुनिए,
हमारे दिल को कुछ यूँ राहतें हैं,
जमाना भर चाहता है जिन्हें,
वो टूट कर हमें चाहते हैं..........
No comments:
Post a Comment