Saturday, January 12, 2008

आधुनिक उपाय

कुछ चेहरे पर और कुछ चरित्र पर,
दाग उभरने लगे,

कुछ ज्यादा तो न किया था,
बस इतना,
की एक रोज़ मैं अपने लिए सोचने लगा,

जैसे दुनिया ही पलट गयी,
रिश्तों में, अपने पराये की
एक रेखा दिख पड़ी,

संग और तंज़ एक साथ बरसे,
खुद को मेरा साया कहने वाला,
चला गया, तन्हा छोड़ कर,

एक और दाग लगा कर,

उलझनों में घिर कर बैठा था,
एक शरारती बच्चा पूछ बैठा,
क्यो क्या हुआ अंकल?

शब्द थे, कि बस बह ही गए,
मैं बोल उठा........दाग लगे हैं बेटा मुझ में,

वो जवाब दे गया मुझे...................
मेरे सवालों का........

बोला.....

अंकल



सर्फ़ एक्सल हैं न............

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