Saturday, January 12, 2008

मैं भी


"जैसा आप ठीक समझो"
मुझे कोफ्त थी,
इन लफ्जों से,
आज मैं भी कहने लगा..........

कहता था! मैं क्यों सहूँ?
फिर जहाँ भर को सहते देखा,
और जख्म सहने लगा...
बस मैं भी समय में बहने लगा......

चलो अब हार भी जाओ,
मेरे ही भीतर से कोई कहने लगा,
समय के बहाव में छोड़ दो सब
और फिर मैं बहने लगा.........

महफिल में मुस्कुराने की,
सख्त हिदायत मिली थी मुझे,
तो मुस्कुराता था,
पर तन्हाई में गुमसुम रहने लगा......
और समय में बहने लगा........

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