Wednesday, June 21, 2023

गया कम था लौटा बहुत है

 जाने किस के आगोश से

निकल के आता है

लेकिन मेरे गले लग के

रोता बहुत है..!!


कुछ खास ख्वाब देखता है

वो आजकल

सुना है सोता बहुत है


में तुम्हे भी समझाऊं

ये अब मुमकिन नहीं

मेरे दिल से ही मेरा

समझौता बहुत है


मेरे हाथ में

उसकी हथेली जरा सी थी

वो गया कम था 

लौटा बहुत है


तुम्हारी सब खयानतों को

माफ कर दिया मैंने

मेरा दिल छोटा बहुत है


मेरी असली शक्ल देखने की

तुम्हारी ये ज़िद बेमानी है

मुखौटा देख लो, बहुत है


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