उस से,
राब्ता हो गया,
फिर पहली दफा रात को,
मैं अपने घर जा के सो गया..!!
तेरा नाखून टूटा था,
शहर में चर्चा था,
के मुझे कुछ हो गया..!!
मंदिर, मस्जिद, शिवालों से,
हार कर आया,
मेरी गोद में,
वो अपना दर्द रो गया..!!
इक ख़ज़ाने का आज पता मिला मुझे,
मेरी सांसों के मोतियों में..!
अपनी सांसों का धागा पिरो गया.!
पहले जैसा,
कोई भी नही लौटा,
उसकी गली में जो गया..!!
No comments:
Post a Comment