Friday, July 4, 2008

एक तमन्ना ऐसी भी.................!

बस अभी अभी तो,

वो बहला कर गए हैं,

और फिर मन उदास हो चला,

दिन भर उनकी प्रीत संग रही,

फिर उनके बिन दिन ढला............

ओ बदलियों, न छेडो अभी,

अभी भरा भरा है मन,

अभी न सुलगा आग ह्रदय की,

ठहर जा ऐ पगली पवन.........

सपनो का घर मुझे बनाने दे,

साहिल तू ही रोक ले लहरें, दो पल

बस उन को आ जाने दे...........

एक और मिलन हो जाने दो, ऐ सूनी वादियों,

मैं सौंप दूँगा ख़ुद ही, तुम्हे ख़ुद को,

फिर मिल जाऊँगा मैं, ज़र्रे ज़र्रे में,

बेहिचक समंदर की बाहों में उतर जाऊंगा............

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