बस अभी अभी तो,
वो बहला कर गए हैं,
और फिर मन उदास हो चला,
दिन भर उनकी प्रीत संग रही,
फिर उनके बिन दिन ढला............
ओ बदलियों, न छेडो अभी,
अभी भरा भरा है मन,
अभी न सुलगा आग ह्रदय की,
ठहर जा ऐ पगली पवन.........
सपनो का घर मुझे बनाने दे,
साहिल तू ही रोक ले लहरें, दो पल
बस उन को आ जाने दे...........
एक और मिलन हो जाने दो, ऐ सूनी वादियों,
मैं सौंप दूँगा ख़ुद ही, तुम्हे ख़ुद को,
फिर मिल जाऊँगा मैं, ज़र्रे ज़र्रे में,
बेहिचक समंदर की बाहों में उतर जाऊंगा............
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