खोने की फ़िक्र न थी, न पाने की......
बस कर दिया जो दिल ने कहा।
शीशे सा साफ़ जेहन,
माया से अछूता एक मन।
पर दुनिया विपरीत खड़ी थी,
मेरे समक्ष हमेशा समस्यायें बड़ी थीं।
कुछ यूँ था के....................
जो दिल में था, वो होठों पे था।
और उन दिनों मैं मुश्किलों में था।
फिर दुनिया बदली,
और मैंने अपने तरीके................
आँखें मूँद लीं,
होठ सी लिए,
अव्यवस्था पर आपत्ति न की...............
कड़वे घूँट पी लिए.........
अब दिल में हजारों राज़ छुपा रखे हैं,
अपने कई रूप बना रखे हैं।
हर इंसान से मिलता हूँ, जैसे "वो" चाहे............
बोलता हूँ, "वो" जो दुनिया सुनना चाहे...........
दुनियादारी आ गई मुझे भी।
तो सपनो सा सजा रखा है।
अब उसी दुनिया ने पलकों पे बिठा रखा है.....................
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