Wednesday, June 29, 2016

रंगीला महात्मा गांधी।


इसी शीर्षक पर और ऐसे ही कई और आर्टिकल मैंने अभी हाल ही में फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया साधनो पर देखे जिनको जोर शोर से शेयर किया जा रहा है।
गांधी कैसे थे कैसे नहीं वो अलग मुद्दा है पर जिन्होंने लिखे वो कुत्सित और विकृत मानसिकता के लोग हैं। ऐसे लोगों को तलाश रहती है मुद्दों की जिनको उछाल कर लोगों का ध्यान आकर्षित कर सकें और अपनी मानसिक विकृति की क्षुधा को तुष्ट कर सकें।
नहीं तो भला 70 साल पहले मरे हुए की कमी निकालने की क्या जरुरत। भाई उसमे से वो ढूंढो जो अच्छा है और आगे काम आये। तुम एक विकृति की बार बार बात कर के उसका विज्ञापन ही कर रहे हो।
और पढ़ने वाले......उनको तो रस मिलता ही है। कल्पनाओं में ही सही वो पोर्नोग्राफी का मज़ा लेते हैं।
मैं शर्त लगा कर कहता हूँ जो लिख रहे हैं उनका कोई न कोई आर्थिक राजनैतिक या सामजिक फायदा अवश्य है (और दिमाग में गंदगी है) लेकिन पढ़ने वाले काठ के उल्लू, गधे हैं।

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