Wednesday, June 29, 2016

मुझे विश्वास है

मुझे तसल्ली है की तुम मुझे पसंद नहीं करते, और ये विश्वास भी है कि मैं ही सही हूँ....!
क्योंकि यदि तुम मुझे पसंद करते तो इसका मतलब होता - मैं वो कहता हूँ जो तुम चाहते हो, मैं वो लिखता हूँ जो तुम चाहते हो, वो सब झूठ होता, वो सब चापलूसी होती!
तुम्हे मीठी गोलियां पसंद हैं, मैं कडवी नीम हूँ, तुम्हे जलेबियाँ पसंद हैं, मैं मिर्च सा तीखा हूँ.....!
अगर तुम मेरे साथ नहीं चल रहे तो ऐसा नहीं है कि मैं अकेला हूँ...........दरअसल तुम मेरे साथ नहीं चल पा रहे हो......मेरा पथ कांटो भरा है और तुम्हे गुदगुदे कालीन पसंद हैं....!
तुम वातानुकूलित कमरों के आराम के तलबगार हो.....मैं कड़ी धूप का राहगीर.........! तुम मुझसे लड़ते हो, कीचड उछालते हो मुझपर और मुझे उकसाते हो तुम्हारी उन अतार्किक बातों का जवाब देने के लिए जिनका कोई ठोस आधार नहीं है......! 
और जब तुम देखते हो कि मैंने तुम्हे नकार दिया है, तुम चिढ जाते हो, मुझे कोसते हो, गलियाँ देते हो...! 
गालियाँ देते हुए तुम ये भूल जाते हो की अनजाने ही उनका अपमान कर रहे हो जिनकी दुहाई दे कर तुम अपना धंधा चलाते हो........तुम स्त्री, माँ, बहन जैसे शब्दों की महत्ता भूल जाते हो....!
हाँ इसीलिए............मुझे विश्वास है की मैं ही सही हूँ...!

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