कोई अश्क छुपा के रोया
कोई खुल के रोया
कोई पा के रोया
कोई खो के रोया
किसी के अरमां बिखरे
टूटे किसी के ख्वाब
जिसने जितना खोया
वो उतना रोया
बता शिद्दत ऐ मुहब्बत
ही क्या थी दरम्यां
के फुरकतों में
न तू रोया न मैं रोया
एक नींद से जागे लगते हैं
और आशियाँ उजड़ा सा
तेरा होना मेरे लिए
कोई ख्वाब था गोया
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