Monday, July 27, 2015

कोई ख्वाब था गोया

कोई अश्क छुपा के रोया
कोई खुल के रोया
कोई पा के रोया
कोई खो के रोया

किसी के अरमां बिखरे
टूटे किसी के ख्वाब
जिसने जितना खोया
वो उतना रोया

बता शिद्दत ऐ मुहब्बत
ही क्या थी दरम्यां
के फुरकतों में
न तू रोया न मैं रोया

एक नींद से जागे लगते हैं
और आशियाँ उजड़ा सा
तेरा होना मेरे लिए
कोई ख्वाब था गोया

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