Friday, April 4, 2008

उस शाम

एक को उसी के कमरे में फांसी,
दूसरे को मिटटी का तेल और तीली,
दे दी घर और खानदान ने,
बाहर निकल कर मोहल्ले वाले बोले,
किस्सा ख़त्म, चलो बदनामी तो ना होगी अब
न कोई रिपोर्ट न गिरफ्तारी,
मामला उलझा ही नही,
दरअसल कुछ हुआ ही कहाँ था,
बस दो जिस्म नही रहे, दो घरो में,
खानदानों ने अलविदा कहा था दोनों को, अपनी अपनी तरह,
बस एक लड़की को, एक लड़के से प्यार हुआ था.....

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