Friday, April 4, 2008

ख्वाहिश

मन मचला तो जिद कर बैठा,
बच्चे का क्या कुसूर,
एक खिलौना मांग लिया दूकान के सामने से गुजरते हुए,
बाप ने रुक कर दो पल
बच्चे की ख्वाहिश और नोट की रंगत को तोला,
हरा था, वजनी था, नोट था,
मासूम की खुशी पर भरी पड़ा,
कौन जाने क्या वज़ह थी,
हाथ पकड़ा और ले चला,
हसरतों ने आंसू बन कर आंखों से बहना शुरू कर दिया,
काश नोट की रंगत आंसुओं से धुल जाती,
मासूम को मनपसंद गुडिया मिल जाती................

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