Friday, April 4, 2008

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लफ्ज़ डूबते उतराते यादों के समंदर में,

जैसे कश्ती कोई टूटी लहरों से चोट खा के,

सोचता हूँ, क्या चुन लूँ, क्या लिख दूँ,

दर्द हल्का हो जाए,

लिख दूँ तो शायद हो ही जाए...........

पर साफ साफ लिखने से कलम कतराए...........

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