मौसम ने महीने भर बाद होली खेली,
बारिश को न्योता मिला तो खुशी खुशी चली आई,
ठंडी हवा ने भंग घोल दी साँसों में,
बादलों ने ऊंची छत पे चढ़ के सबको सराबोर किया,
पेड़ों पे न जाने किसने हरा गुलाल डाला,
सूरज शाम को टेसू के फूल छिड़क के भागा,
सालों बाद आज एक कोने में
मैंने शहर में इन्द्रधनुष देखा है...................
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