Wednesday, December 26, 2007

मार्गदर्शक


कभी ईसा तो कभी मूसा ने जन्म लिया,
कभी राम ने तो कभी कृष्ण ने अवतार लिया,
कभी बुद्ध ने भवसागर पार किया,

सुवासित पुष्प हर आँगन में खिले,
हर देश को हर युग में मार्गदर्शक मिले,

कोई तो था जिसने पीडा सुनी,
कोई तो आगे आया,
कुछ महावीर बने कोई बापू कहलाया,
हरिजनों को आगे बढ़ ह्रदय से लगाया,

कुछ साधारण जन्मे,
कुछ दिव्य लक्षण युक्त थे,
पर, मद मोह से मुक्त थे,

आर्यावर्त कि पोटली में ये रत्न सर्वाधिक हैं,
सत्य, निष्ठा, और प्रेम प्रयत्न सर्वाधिक हैं,

इतिहास स्वर्णिम था,
वर्तमान कि नयी आवश्यकताएं हैं,
नए पद्य हैं, नयी कथाएं हैं,

ये पीढ़ी भी औरों से भिन्न है,
स्वाचरण से खिन्न है,

आवश्यकता है,

फिर कोई पूर्ण मानव बने अवतार ढले,
बापू सा लाठी पकडे आगे चले,

निराशा कि धुंध छांटे, रास्ता दिखाए,
नवयुवकों को करना है क्या?

ये बताये..........................!

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