मैंने जिन्दगी को करीब से देखने की कोशिश की, आम इंसान की नज़र से अपने वतन 'हिन्दुस्तान' को देखा, परेशानियां देखीं, बुराइयां देखीं, अव्यवस्था देखी और फिर इनका हल जानने की कोशिश की....
जहाँ हर रोज़ साठ लाख,
भूखे हैं बच्चे,
वहाँ टनों दूध पीते,
पत्थर के भगवान्........
इस सबके जिम्मेवार,
कुछ मुट्ठी भर इंसान......
जहाँ सरकारी दफ्तरों के आगे चढ़ती,
बेरोजगारों की बलि, और
आत्महत्या कर लेते,
हर साल बीस हज़ार नौजवान.........
इक दस्तखत के बदले, जहाँ एक बाबू...
कभी उतार लेता आबरू,
या आधी जिन्दगी की कमाई,
और उस पर भी जताता एहसान.........
नैतिकता और भ्रष्टाचार के,
इस कुरुक्षेत्र में,
पतित ही कर्ण, और अर्जुन भी वही
उन्ही के हाथों खडग, उन्ही के हाथ तीर-कमान...........
जहाँ हर मोहल्ले में, औरतों लड़कियों पे फब्तियां,
न बस ट्रेन में, बुजुर्गों को सम्मान.....
जहाँ हरिजनों को साठ साल में भी,
न मिला सबके जैसा अधिकार समान............
तो प्रश्न उठता है.......क्या सचमुच "मेरा भारत महान"?
चलो प्रश्न का उत्तर ढूंढें,
उठें, आगे बढ़ें,
अधिकार और सम्मान के लिए.......
न्याय के लिए करें प्रयोग अपने अधिकार और RTI,
जाने संविधान को,
और करें विश्वास का आह्व्हान.......
सच में बनाएं भारत महान............
एक कवि और जागरूक नागरिक होने के नाते, मैं भारतवर्ष के सामजिक उत्थान को अपना कर्तव्य और अधिकार समझता हूँ, मैं हर सम्भव प्रयास करता हूँ संविधान को समझने और अपने मौलिक अधिकारों के प्रयोग का.............क्या आप करते हैं?
1 comment:
Sachchi taswir h mere desh ki..
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