जब कभी एक ही इंसान किसी के लिए पूरी दुनिया हो जाए
और फिर वो बेवजह उस से जुदा हो जाए तो सवालों का ये सिलसिला दिल में आए...............
तुम सुनतीं तो कहता मैं,
समझती तो इशारा देता,
पर इतनी अजनबी क्यों हुई जाती हो,
मैं बिखरने लगा हूँ,
क्या तुमने दामन छुडाया है...............?
ये काली रात मुझे सोने नही देती,
क्या तुम्हे किसी और का ख्वाब आया है.............?
पिघलने लगा हूँ, जलने लगा हूँ,
क्या शीशा-ऐ-दिल की ओर,
तुमने भी पत्थर उठाया है..........?
ख़ुद को आज कारवां से,
जुदा पाता हूँ मैं,
क्या किसी और को तुमने हमसफ़र बनाया है............?
बस उस इल्म की तस्दीक़ कर दो,
जिस से ख़ुद को मेरे प्यार से महरूम किया,
ये तो कहो दिल से मुझे भुलाने का,
कौन सा तरीका आजमाया है..............?
हाल-ऐ-दिल बताऊँ किसे, यार ने घर ही बदल डाला,
एक ज़रूरी ख़त उस के पते से लौट कर आया है...............
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