Thursday, October 18, 2018

हिचकियां

बड़ा अजीब लगता है,
जब हिचकियां आती हैं...!!

सोचता हूं,
उधर तुमको भी आती होंगी,
जब इधर हाल बुरा होता है,
मुफीद होता है,
सो जाना, या फिर,
बाहर निकाल जाना...!!!

वरना कमरे की चार दीवारें,
अपने जबड़े फाड़,
मुझे खाने को दौड़ती हैं...!!!

हां उधर तुमको भी अकेले में,
तकल्लुफ तो होता ही होगा.....!
दुनिया भर में,
दीवारें एक जैसी है....!!!

सुबह बेपनाह उनींदा,
जब दरवाज़ा खोलता हूं,
नाउम्मीदी का दरिया,
मेरे कमरे और मुझ में,
भर जाता है.....!!!

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