बड़ा अजीब लगता है,
जब हिचकियां आती हैं...!!
जब हिचकियां आती हैं...!!
सोचता हूं,
उधर तुमको भी आती होंगी,
जब इधर हाल बुरा होता है,
मुफीद होता है,
सो जाना, या फिर,
बाहर निकाल जाना...!!!
सो जाना, या फिर,
बाहर निकाल जाना...!!!
वरना कमरे की चार दीवारें,
अपने जबड़े फाड़,
मुझे खाने को दौड़ती हैं...!!!
अपने जबड़े फाड़,
मुझे खाने को दौड़ती हैं...!!!
हां उधर तुमको भी अकेले में,
तकल्लुफ तो होता ही होगा.....!
तकल्लुफ तो होता ही होगा.....!
दुनिया भर में,
दीवारें एक जैसी है....!!!
दीवारें एक जैसी है....!!!
सुबह बेपनाह उनींदा,
जब दरवाज़ा खोलता हूं,
जब दरवाज़ा खोलता हूं,
नाउम्मीदी का दरिया,
मेरे कमरे और मुझ में,
भर जाता है.....!!!
मेरे कमरे और मुझ में,
भर जाता है.....!!!
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