Wednesday, November 15, 2017

वहम

कम रह जाती है जिंदगी हमेशा
सिलसिले चाहे मुश्किलों के
कम हो न हो...

वो तो होता ही रहेगा
के दर्द जिंदगी का दूसरा नाम है
चाहे कोई
सितम हो न हो........!

अपनी मुस्कुराहटों का मरहम
रखा करो इस पे
न जाने और आशिकी का
ये जख्म हो न हो......?

बहुत खूबसूरत है तोहफा ये ज़िन्दगी
हमेशा हम तुम पे मेहर ये
वहम हो न हो.........?

रखने दिया करो काँधे पे सर
और रोने दिया करो जार बेजार
कोई गम हो न हो...........?

इसी जनम चाहो जितना चाहना है
किसे पता फिर कोई
जनम हो न हो.........?

रूठा भी करो तो आगोश में सोया करो
कौन जाने कल
हम हो न हो..........??

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