Wednesday, November 15, 2017

किमाम

तू ही खुदा तू ही कुरान हो जाये
मैं हिफ़्ज़ करूँ तेरे गोशे गोशे को ऐसे
तेरे नक्श ओ वज़ूद की
तुझसे भी ज्यादा पहचान हो जाये.......!!

पाक हो जाएं दिन
सुन्नत हो जाएं रातें
की हर लम्हा
माहे रमजान हो जाये.....!!
तेरे नज़रे करम का जो
कभी इधर एहसान हो जाये.......!!

कभी यूं जुड़ने दे खुद से,
के कोई दूरी न रहे,
मिले सांस यूं,
तेरे मेरे बीच किमाम हो जाये.......!

ये जो रूखे से ख्यालों का 
छोटा सा कुनबा बसा है दरम्यां,
कुन्ह-ऐ-गुल हो जाये,
गुलफाम हो जाये.....!

चलो इस रिश्ते को  वो मुकाम दें,
के झुक जाये बशर तमाम,
इस मोहब्बत के नाम,
एक सजदा-ऐ-अवाम हो जाये....!

मिसाल बन जाये इश्क़ यूं,
के हर ज़ालिम-ओ-सितमगर
दस्तूर-ऐ-आशिक़ी का गुलाम हो जाये....!

मिल कभी यूं,
के मेरे अश्क़ भिगो दें तुझे
बेपनाह,
और तेरी साँसे मुझ में किमाम
हो जाएँ.....!

फिर तू ही खुदा,
तू  ही कुरआन हो जाये....! 

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