Monday, November 20, 2017

तुम पर आशार लिखने हैं

तुम ये जो सब्ज़ियों पे ज़ुल्म करती हो,
मुझे पता है,
मेरी हर गंद नफ़्स को,
यूँ ही काट देना चाहती हो...!!!

तुम जब धो देती हो एक तौलिए को,
बेपनाह रगड़ कर,
मैं समझ जाता हूँ..!!!
एक नाराज़गी धोने की,
कोशिश है ये..!!!!

बार बार चखती हो जो,
दाल में नमक,
तुम जांचती हो मेरे प्यार के तेवर..!!

क़रीने से कपड़े नहीं लगाए मेरे,
ज़िंदगी को सहूलियत का,
भरपूर अन्दाज़ दिया है..!!!!

संवरना कोई जरूरत नहीं,
पर हाँ तुम्हारी ख़्वाहिश भर है,
मेरे दिल की गहराइयी,
नापनी होगी आज तुमको..!!!

रोशनी की परिभाषा,
कोई तुमसे पूछे,
मुझे देख आँखो में,
जुगनू दमकते हैं...!!!

मैंने सितारों से ले कर,
गुलों तक मशविरा किया है,
अंदाज़े बयान नहीं मिलता,
आज मुझे भी तुम पर आशार लिखने हैं..!!!

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