सांस आने में,
ये सुन के उसे,
बाहों में भरना छोड़ दिया मैंने
उसका अक्स झलक रहा था,
आइना तोड़ दिया मैने
उसके अश्कों के दाग़ों का,
उधार रह गया था बाकी,
दामन निचोड़ दिया मैने..!
सागर उफन जायेगा,
घबरा के दरिया ही,
मोड़ दिया मैने..!!
सिफर हो गया सौदा,
सब पाना था,
तो सब छोड़ दिया मैने..!!
अब छा रहा है वो,
सब आसमान बन कर,
जब खुद को दो गज में,
सिकोड़ दिया मैने..!
दाग़ बाकी रह गया था,
दामन निचोड़ दिया मैने।
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