कहां सर टकराओगे,
अकेले चल तो दिए हो,
सोचा है कहां तक जाओगे?
चीखें पलट कर सुनाई देंगी,
जब भी मुस्कुराओगे,
जिस फैसले पे नाज़ है,
कल उसी पे पछताओगे,
ये जुल्फें, पलकें, शोखियां,
सब महज़ छलावे हैं,
इन से दिल लगाओगे?
दिखा दिया है,
तुमने रास्ता जिसे बाहर का,
उसे दस्तरख्वान पे बिठाओगे..!
जबरन अल्फाज,
सजा देती है जुबां पे,
तुम भी जिंदगी का ही,
नगमा गुनगुनाओगे..!!
अकेले चल तो दिए हो,
सोचा है कहां तक जाओगे?
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