जब न करना चाहूँ
सबसे ज्यादा याद आती हो तुम..
मैं उदास होता हूँ
और मुस्कुराती हो तुम
कभी कभी यूं भी
दिल बहलाती हो तुम...
इंतज़ार होता है न जाने किसका
और ख्वाबों में आती हो तुम..
इधर उठता है धुआं दिल से मेरे
और उधर इठलाती हो तुम...
कभी यूं भी होता है
की शाम होती है बेहद अँधेरी...फिर
अपनी यादों का
दिया जलाती हो तुम
मेरी अहमियत ज्यादा नहीं
फिर भी मेरे वज़ूद में हो
क्यों मुझसे इतना जुड़ जाती हो तुम
कभी कभी
बहुत याद आती हो तुम....!
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