Wednesday, August 29, 2012

पानी के साथ...........!

गर्मियों की उमस भरी दोपहर में,
उकताया हुआ,
खुद पे थोडा गुस्साया हुआ,

शहर की बदनाम गलियों से,
गुज़रा मजबूरन ............!

फिर एक कार को रुकते,
और एक लड़की को,
उस से उतरते देखा .......!

मैं बढ़ गया,
पान की इक दूकान की ओर,
नज़र चुरा कर ......!

और लड़की मेरी ओर ......!


पानी की एक बोतल,
बुझा रही थी प्यास, बढ़ रही थी लड़की मेरी तरफ,


खाली बोतल फेकने से पहले,
उसने टोका मुझे,
ऐ बाबू  ............!


जैसे वो कार वाला कमीना,
फेक गया है मुझे,
तुम मत फेको इसे ..........!

2 comments:

Anonymous said...

संवदेनशील - प्रशंसनीय प्रस्तुति - बहुत सुंदर ब्लॉग - आता रहूँगा

Gaurav said...

हार्दिक धन्यवाद....समीक्षा भी शिरोधार्य रहेगी...!