तुम्हारे पीछे यादो ने,
मुझे तंग कर रखा हैं........
तुम आ जाओ,
ये खुद ब खुद चली जायंगी.....
बेतरतीब कमरा,
रोज़ पूछता हैं,
तुम कब आ रही हो.....
दूध अब भी गरम कर देता हूँ,
हर शाम, ये सोचते हुए,
सुबह तुम्हे चाय पीनी होगी.......
तुम उस दिन झगड़ते हुए,
कमीज़ के सब बटन तोड़ गई थी.....
हर रोज़ लगाने बैठता हूँ,
फिर बैठा ही रह जाता हूँ.......
एक जंग मेरे भीतर शुरू हो जाती है.....
रात अचानक नींद से जाग,
तुम्हारा नंबर मिला दिया..........
पहुच से बाहर था......
कौन कहता है,
फ़ोन ने दूरी मिटा दी है.............
क्यों चले गए हो,
सब यही पूछ रहे हैं.....
तुम्हारे बाद, बस ये सवाल रह गया है.....
मुझे तंग कर रखा हैं........
तुम आ जाओ,
ये खुद ब खुद चली जायंगी.....
बेतरतीब कमरा,
रोज़ पूछता हैं,
तुम कब आ रही हो.....
दूध अब भी गरम कर देता हूँ,
हर शाम, ये सोचते हुए,
सुबह तुम्हे चाय पीनी होगी.......
तुम उस दिन झगड़ते हुए,
कमीज़ के सब बटन तोड़ गई थी.....
हर रोज़ लगाने बैठता हूँ,
फिर बैठा ही रह जाता हूँ.......
एक जंग मेरे भीतर शुरू हो जाती है.....
रात अचानक नींद से जाग,
तुम्हारा नंबर मिला दिया..........
पहुच से बाहर था......
कौन कहता है,
फ़ोन ने दूरी मिटा दी है.............
क्यों चले गए हो,
सब यही पूछ रहे हैं.....
तुम्हारे बाद, बस ये सवाल रह गया है.....
2 comments:
sawalon ke jawab kab mile hain ... yaddon ke sahaare jeena mushkil hota hai ..... fir dil lagaane ko sawaal reh jayaya krte hai ....
Post a Comment