जब तोड़ देते हो,
विश्वास एक दूजे का.....!
भूल जाते हो धरम, ईमान,
अपना पराया...........!
बहा देते हो खून,
पानी की तरह........
क्या तब भी एहसास नहीं होता?
सर्वश्रेष्ठ कृति होने का..........!
संवेदना का प्रदर्शन जब,
तुम्हारे लिए.......
सबसे सुगम हैं........!
क्यों तब भी विश्व-रचना का,
कारण समझने का,
प्रयास नहीं करते.........?
शुक्र हैं, मुझे तंत्रिका तंत्र,
नहीं दिया, दयावान ने............!
एक बूढ़े बरगद की,
मूक वाणी........!
एक बधिर पाखंडी से,
टकरा टकरा कर गूँज रही थी..........!
3 comments:
अच्छी रचना........ कुछ सवाल कुछ सन्देश
bahut sunder rachna gaurav ji!
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