Thursday, April 1, 2010

पतन.............

लोग कहते हैं,
मैं दिन ब दिन......!

गिरता जा रहा हूँ,
मेरा पतन हो रहा हैं........!

क्या कहू.......?

यही की......

एक रोज़ बेदर्दी से.....

तुमने मेरे कदमो तले,
ज़मीन निकल दी थी.....

I hate you,
I dont want to see you again.....

याद हैं न............?

मैं अपराधी हूँ...........?

बताओ.............?

गिरू न तो क्या करू....?

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