वक़्त.... अँधेरा...!
रात की लम्बाई,
उस से पूछो,
जो इश्क में पड़ा हो,
और इज़हार न कर सका....!
इंसान नहीं, ख्याल है वो,
जज़्बा कोई,
जिसे बयां कोई,
फनकार न कर सका....!
और उस से मेरे,
दिल की लगी का,
अंदाजा यूं लगा लो,
उसने मुझे मेरी ही,
मौत की दावत दी, और मैं
इनकार, न कर सका..!!
होता कोई और तो,
सम्हाल लेते खुद को,
जिसका भी दिल उसने तोडा,
वो फिर किसी पे,
एतबार न कर सका..!
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