करवटों की, सलवटों की कुछ
वस्ल रातें
नमूंदार कुछ शोख चटक धब्बे
वो क़त्ल रातें
फितरतन न तेरी न मेरी
नामालूम नस्ल रातें
कुछ सेहरा कुछ दरिया
कुछ गुस्ल रातें
जुदा जुदा, मिली मिली सी
कुछ हमशक्ल रातें
गुमशुदा, कुछ रिमझिम, अंगड़ाइयां
आजकल रातें
हंसाती रुलाती, रूठती मनाती
दरअसल रातें
मुस्कुराहटें, शिकवे, अश्क, शैतानियाँ
बातें और रातें।
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