मेरे दर्दों से भी,
गुलाब सी खुशबू आये...
महकता है,
मेरा छोटा सा आशियाँ,
दर पे मेरे जब भी तू आये...
लब जो सी दिए तूने,
अपनी तंज़नाज़ नज़रों से,
अब मेरी आँखों में,
तेरी जुस्तुजू आये......
तू जो कभी,
मिलने आये,
तो मेरी साँसों से,
तेरी खुशबू आये....
बड़ा पेचीदा है,
ये धुंधला दर्द,
कभी तड़प के आये,
कभी सुर्खरू आये.........
अब मेरी आँखों में,
तेरी जुस्तुजू आये...
यूं पशोपेशियों में,
डाला है तूने मुझे,
की पी रहा हूँ हर बूँद,
मानिन्दे-ए-ज़हर.....
भला रुसवा करने तुझे,
मेरी आँख में,
अश्क क्यू आये........
ये तेरी ही कारगुजारियां,
की मेरे रूबरू,
बस तू ही तू आये......
बाद इसके भी,
बस एक तेरी जुस्तजू आये....
निगाहें लगी है दर पे,
कहीं गवां न दूं एक भी लम्हा,
तेरे दीदार का,
मैं फेरु पल भर जो नज़र इधर,
उधर तू आये.....
तेरी बस तेरी ही,
जुस्तजू आये..........
तमन्ना है, के तू हो,
बस तू हो और तू ही हो,
और कुछ न हो.....
कभी वो पल भी आये,
की सिर्फ मुझसे मिलने तू आये.......!
गुलाब सी खुशबू आये...
महकता है,
मेरा छोटा सा आशियाँ,
दर पे मेरे जब भी तू आये...
लब जो सी दिए तूने,
अपनी तंज़नाज़ नज़रों से,
अब मेरी आँखों में,
तेरी जुस्तुजू आये......
तू जो कभी,
मिलने आये,
तो मेरी साँसों से,
तेरी खुशबू आये....
बड़ा पेचीदा है,
ये धुंधला दर्द,
कभी तड़प के आये,
कभी सुर्खरू आये.........
अब मेरी आँखों में,
तेरी जुस्तुजू आये...
यूं पशोपेशियों में,
डाला है तूने मुझे,
की पी रहा हूँ हर बूँद,
मानिन्दे-ए-ज़हर.....
भला रुसवा करने तुझे,
मेरी आँख में,
अश्क क्यू आये........
ये तेरी ही कारगुजारियां,
की मेरे रूबरू,
बस तू ही तू आये......
बाद इसके भी,
बस एक तेरी जुस्तजू आये....
निगाहें लगी है दर पे,
कहीं गवां न दूं एक भी लम्हा,
तेरे दीदार का,
मैं फेरु पल भर जो नज़र इधर,
उधर तू आये.....
तेरी बस तेरी ही,
जुस्तजू आये..........
तमन्ना है, के तू हो,
बस तू हो और तू ही हो,
और कुछ न हो.....
कभी वो पल भी आये,
की सिर्फ मुझसे मिलने तू आये.......!
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